GST 2.O for Indian Consumers

GST 2.O: एक नया अध्याय!

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भारत सरकार ने GST (Goods and Services Tax) व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव किया है, जिसे GST 2.0 कहा जा रहा है। यह 22 सितंबर 2025 से लागू हुआ है। इसका मुख्य उद्देश्य टैक्स सिस्टम को और भी आसान, पारदर्शी और उपभोक्ता-हितैषी बनाना है।

GST 2.0 क्या है? What is GST 2.0?

GST एक ऐसा एकल कर है जो उत्पादन से लेकर उपभोग तक सभी वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। यह पहले के सभी अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों को खत्म कर देता है। भारत में GST लागू होना हाल के वर्षों में सबसे बड़ा टैक्स सुधार माना गया है।

भारत में जीएसटी कब लागू किया गया था?

Goods & Services Tax भारत में एक ऐतिहासिक कर सुधार के रूप में 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था। इसे "One Nation, One Tax" की अवधारणा के तहत पेश किया गया, जिसका उद्देश्य देशभर में एक समान अप्रत्यक्ष कर प्रणाली स्थापित करना था। 

पुरानी व्यवस्था में एक ही वस्तु पर कई बार टैक्स लगता था। उत्पाद पर एक्साइज ड्यूटी लगने के बाद उस पर वैट भी लगाया जाता था। इससे वस्तु की कीमत बढ़ जाती थी और पारदर्शिता खत्म हो जाती थी। व्यापार में बाधाएं, अलग-अलग राज्यों में अलग टैक्स दरें होने से अंतर-राज्यीय व्यापार में कठिनाइयाँ, व्यापारियों को हर राज्य में अलग-अलग रजिस्ट्रेशन और रिटर्न फाइल करने पड़ते थे।

Value Added Tax (VAT):- 

Value Added Tax एक अप्रत्यक्ष कर था, जिसे भारत में राज्य स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री पर लगाया जाता था। यह कर हर उस चरण पर लागू होता था जहां उत्पाद या सेवा का मूल्य बढ़ता था।

Journey to GST- Milestones:-


Key Highlights Tax System Reformation:- 

  • 1974: VAT की नींव (LK Jha Committee ने Value Added Tax (VAT) का सुझाव दिया।)
  • 1986: MODVAT (VP Singh ने चुनिंदा वस्तुओं पर MODVAT (Modified VAT) पेश किया।)
  • 1991: VAT Recommendation (Raja Chelliah Committee ने VAT की सिफारिश की।)
  • 1994: सर्विस टैक्स की शुरुआत (भारत में Service Tax लागू किया गया।)
  • 1999-2002: केंद्रीय VAT का एकीकरण (11 एक्साइज रेट्स को मिलाकर सेंट्रल वैल्यू एडेड टैक्स बनाया और सभी कमोडिटीज़ पर लागू किया।)
  • 2000: GST का कॉन्सेप्ट (GST की परिकल्पना की और GST मॉडल डिज़ाइन करने के लिए एक समिति बनाई।)
  • 2003-06: VAT का विस्तार और FRBM (FRBM Committee जिसने GST की सिफारिश की।)
  • 2006: GST की घोषणा (बजट भाषण में 1 अप्रैल 2010 से GST लागू करने की घोषणा की।)
  • 2011: संवैधानिक संशोधन बिल (115वाँ संशोधन) बिल, GST लागू करने के लिए पेश किया गया।)
  • संविधान (122वाँ संशोधन) (GST) बिल, 2014 पेश किया गया और मई 2015 में पास हुआ।
  • अगस्त 2016: संविधान (101वाँ संशोधन) अधिनियम लागू किया गया।
  • सितंबर 2016: 101वें संशोधन (GST काउंसिल का गठन और इसकी पहली बैठक हुई।)
  • 1 जुलाई 2017: GST लॉन्च (GST को पूरे भारत में लॉन्च किया गया।)
पहले, GST में कई तरह के टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) थे। GST 2.0 में, सरकार ने इस व्यवस्था को बहुत सरल कर दिया है। इस बदलाव के साथ, 12% और 28% के स्लैब को हटा दिया गया है, जिससे टैक्स की गणना और वर्गीकरण (classification) आसान हो गया है। अब सिर्फ तीन मुख्य टैक्स स्लैब हैं:

  • 22 सितंबर 2025: GST 2.0 - एक नया अध्याय!

  1. 5% (Merit Rate): आवश्यक खाद्य और कृषि उत्पाद।
  2. 18% (Standard Rate): अधिकांश सामान और सेवाएँ। 
  3. 40% (Demerit Rate): लग्ज़री और सिन गुड्स।


इसके मुख्य फायदे (Key Benefits):- 🤩

1. आम उपभोक्ता के लिए राहत (Relief to Common Consumers):

(i) दैनिक उपयोग की कई चीज़ें सस्ती हो गई हैं। पहले जो सामान 12% या 28% के स्लैब में थे, उन्हें अब 5% या 18% में रखा गया है। उदाहरण के लिए, छोटे कार, एयर कंडीशनर, टीवी और अन्य कुछ घरेलू सामानों पर GST 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है।
(ii) किसानों के लिए ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरणों पर टैक्स 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
(iii) स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) पर अब कोई GST नहीं लगेगा, जिससे यह आम लोगों के लिए और अधिक सुलभ हो गया है।

2. व्यापार में आसानी (Ease of Doing Business):

 (i) कम टैक्स स्लैब होने से कंपनियों के लिए Compliance आसान हो गया है।
(ii) इससे वस्तुओं के वर्गीकरण (classification) से जुड़े विवाद कम होंगे।
(iii) कुछ मामलों में Input Tax Credit (ITC) से जुड़ी समस्याएं भी दूर हुई हैं।

3. आर्थिक विकास (Economic Growth) को बढ़ावा:

(i) टैक्स कम होने से लोगों की Purchasing Power बढ़ेगी, जिससे बाज़ार में मांग (Demand) बढ़ेगी।
(ii) यह उद्योगों, खासकर MSME (Micro, Small, and Medium Enterprises) सेक्टर को बढ़ावा देगा।
(iii) सप्लाई चेन (supply chain) और लॉजिस्टिक्स (logistics) में भी सुधार होगा।


संभावित Pros & Cons:-

Pros:

(i) Simplification: टैक्स प्रणाली को सरल बनाना।
(ii) Reduced Prices: कई उत्पादों और सेवाओं पर कीमतों में कमी।
(iii) Boosting Demand: उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देना, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
(iv) Correcting Inverted Duty Structure: कुछ मामलों में Input पर अधिक टैक्स और Output पर कम टैक्स की समस्या को हल करना।

Cons:

(i) Price Passing: कुछ उपभोक्ताओं को डर है कि कंपनियां टैक्स में मिली छूट का फायदा उन्हें नहीं देंगी।
(ii) Impact on Luxury Goods: लग्जरी और कुछ खास उत्पादों पर 40% टैक्स लगने से उनकी कीमतें बढ़ेंगी।
(iii) Implementation Challenges: नई व्यवस्था को पूरी तरह लागू करने में शुरुआती चुनौतियां आ सकती हैं, खासकर छोटे व्यापारियों के लिए।

कुल मिलाकर, GST 2.0 को एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, जो भारत की अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाने और आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करेगा।




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